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विपद का बंधु ||Friend of calamity || Hindi Stories

विपद का बंधु


 एक गांव के बीचोबीच एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था | बहुत दिन हो गए थे वह पेड़ गांव लोगों के काम में आता था | उसी पेड़ के नीचे बैठकर गांव का बुजुर्ग मसले के समाधान किया करते थे | सारे बच्चे उसी पेड़ के नीचे खेला करते थे |  जैसे कि वह पीरियड नहीं बहुत बड़ा महल हो | बाहर से लोग आते जाते समय में भी उस पेड़ के नीचे बैठते थे | अनेक पक्षियों का भी वह एक घर था | इसीलिए बरगद का पेड़ के मन में बहुत ही ज्यादा गर्व था |  वह पेड़ भी बहुत ही ऊंचा था |  उसके शाखाएं भी बहुत बड़े हो चुके थे और मिट्टी को छू रहे थे | 



एक दिन बरगद हंसते हुए घास को बोलता है हे छोटा घास तु कोई काम का नहीं है |  तेरा जन्म जहां पर हुआ है मृत्यु भी वहीं पर होगा | तेरा ऐसा छोटा रूप के लिए तेरे को कोई नहीं पूछता | लोग तुझे अपने पैरों तले दबा देते हैं | तेरे ऊपर खराब चीजें भेज देते हैं | यह बहुत ही लज्जा की बात है हमारे इस उद्यान जगत के लिए |  परंतु मुझे देख |  लोग मुझे सलाम कर रहे हैं |  मेरे ही पास बैठकर सभा समिति  गठन करते हैं | उसके अलावा मेरे शाखाएं भी बहुत बड़े हो चुके हैं | वह मिट्टी को छूने के कारण मुझे बहुत ही आराम प्रदान किया करते हैं | युवावस्था मैं जैसे था बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही हूं | मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता | सूरज चांद रहने तक मैं जिंदा बचा रहूंगा | 



यह सुनकर घास बहुत ही दुखी हुआ | रोते हुए बरगद को बोला भैया ईश्वर की सृष्टि भी विचित्र है | किस को किस रूप में किस लिए बनाए हैं केवल वही ही जाने |  हमारे हाथ में कुछ नहीं है | ईश्वर की सृष्टि में मैं छोटा | इसलिए मेरे को दुख नहीं | क्योंकि लोग मुझे प्यार करते हैं | श्रद्धा और भक्ति भी करते हैं | सब भगवान के सर पर मैं बैठता हूं | पूजा में लोग मुझे ढूंढते हैं | उस समय में बहुत खुश होता हूं | मेरा यह छोटा सा रूप के लिए मैं दुखी नहीं होता हूं | भगवान की चरण पर शोभा पाने के कारण मैं अपने आप को बहुत धन्य सोचता हूं | भैया हम दोनों इस प्राणी जगत के कल्याण के लिए बने हैं | इंसान हम दोनों को पूजा करते हैं | हां यह सत्य है कि आप सुंदर हो और मैं सुंदर नहीं हूं | फिर भी लोग हम दोनों को सम्मान देते हैं |  आदर भी करते हैं | फिर भी हम दोनों के बीच में ऐसे बात क्यों होता है ? आप मेरे बंधु |  विपद के समय में आप ही मेरे रक्षा करता हो | 


विपद का बंधु ||Friend of calamity || Hindi Stories


 यह सुनकर बरगद गुस्सा हो गया | वह गुस्से में बोला तू एक निर्लज्ज है | लोग मुझे हर दिन सम्मान देते हुए तुझे कभी कबार देते हैं |  इतने में तुझे इतना गर्व है | मेरे को उल्टा जवाब देता है और शास्त्र ज्ञान देता है | याद रख में सबसे सुंदर हूं |  सबसे बड़ा हूं | मेरे सुंदरता को देखकर तू मुझसे ईशा कर रहा है | 



वही समय पर आसमान पर काला बादल मंडराने लगा | हवा का वेग बहुत तेज होने लगा | गांव के सारे चाल के घर टूटने लगे | लोग बड़े-बड़े पेड़ के मूल को छोड़कर घास के मैदान के तरफ चले गए | अभी वह बरगद अकेला हो गया था | उसके नीचे कोई नहीं था | हवा के तेज से आगे वह हार गया और उसका मूल मिट्टी से उखड़ गया | मुंह के बल बरगद घास के ऊपर गिरा | बरगद का यह दृश्य देखकर घास अपने आप को संभाल नहीं पाया | मरता हुआ बरगद को घास थोड़ा पानी पीने के लिए दिया | आखिर में होगा उसको बोला भाई मैं बहुत गर्व में अंधा हो गया था | अपनी सुंदरता पर मेरे को बहुत गर्व था | तेरे जैसे छोटे जीवों को मे घृणा करता  था | उनका मजाक उड़ाता था | असलियत में बल के सामने हम सब अकर्मण्य है | मेरा मृत्यु समय निकटतर हो रहा है | मेरे भाइयों को बोल देना मेरे जैसे कोई गर्व ना करें | अनीशा बंधु का आदर करना क्योंकि बंधु ही विपद के समय काम आता है | क्योंकि बंधु ही सुख दुख का साथी होता है | जैसे आपने मुझे मृत्यु समय में पानी पिलाया | मैं आपको बहुत कटु वचन बोला हूं इसलिए मुझे माफ कर दीजिएगा | यह बोलकर बरगद मर गया | 


इस कहानी से हम यह सीखते हैं कि किसी बंधु को कभी कटु वचन नहीं बोलना चाहिए क्योंकि विपद के समय में वही बंधु ही काम में आता है |



|| धन्यवाद ||

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