अहंकारी कछुआ
एक दिन का बात है, इस तालाब के किनारे दो हंस रहते थे | उसी तालाब में रहने बाली एक कछुआ उनका दोस्त था | वह लोग अकेले में अपने बीच में बहुत सारा बात करते थे |
एक दिन के गांव के लोग नंबरकी बना वो तालाब के सभी मछलियों को पकड़ लेंगे | यह बात सुनकर हंस दोनों कछुए को बोले | कछुआ हंस को बोला कि, "आप मुझे दूसरे तालाब में छोड़ कर आ जाइए" |
दोनों हंस कहीं से एक डंडा लेकर आए | उस डंडे को दोनों हंस अपने मुंह से दूसरी ओर से पकड़े दिल्ली के बीच वाले अंश को को कछुआ अपने मुँह से पकड़ कर झूल गया | उसके बाद दोनों हंस उसे उड़ाने के लिए लगे |
एक मैदान में गांव की कुछ बच्चे खेल रहे थे | उसी समय कछुआ और हंस उनके ऊपर से जा रहे थे | बच्चे कछुआ और हंस कैसे उड़ते हुए देखकर हंसने लगे इनमें से एक बच्चा बोला "कास यह कछुआ गिर जाता है?" और एक बच्चा बोला अगर कछुआ गिर जाता है तो मैं उससे अभी तक यहाँ जलाकर खा जाता हूँ |
यह सुनकर कछुआ उन पर गुस्सा किया और गाली देने के लिए अपना मुंह खोलने का प्रयास किया जब वह मुंह खोला तो वह सीधा कर जमीन पर गिरा, उसके ऊपर बच्चे सब चढ़कर और विचारों से कठुआ मर गया | कछुआ अहंकारी होने के कारण अपने अहंकार को खत्म नहीं कर पाए और उसी के कारण ओ मारा गया।
इस कहानी से हम यह सीखते हैं कि हमेशा अपने अहंकार को खत्म करना चाहिए |
|| धन्यवाद ||
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