अतिथि सेवा
एक बार ओ व्रत पालन करने के कारण उपवास में थे | अगले दिन महाराजा जब अपना भोजन ग्रहण करने गए उस समय एक आदमी आकर उन्हें कुछ भोजन खाने के लिए मांगने लगा | वह उस आदमी को अपना सारा भोजन दे दिए |
वह आदमी जाने के बाद महाराजा और एक बार भोजन ग्रहण करने के लिए गए | उस समय और एक भूखा आदमी आकर उन्हें कुछ खाने के लिए मांगने लगा | समय महाराजा खुशी से अपने खाने को उसके आदमी को दे दिए |
उसके बाद महाराजा और एक बार खाने के लिए जा ही रहे थे , उस समय और एक भूखा आदमी अपने कुत्ते के साथ आकर महाराजा को कुछ खाने के लिए मांगने लगा | उस समय महाराज आपने आखरी भोजन थाली को भी उस आदमी और उसके कुत्ते को दे दिए |
कुछ समय के बाद महाराजा को फिर से प्यास लगने लगा इसलिए वह पानी पीने जा रहे थे | उसी समय एक आदमी आकर महाराजा को पीने के लिए पानी मांगने लगा | महाराजा खुशी से अपना पानी का गिलास को उसे पीने के लिए दे दिए और खुद बिना खाए पिए रहे |
ईश्वर यानी भगवान उनके अतिथि सेवा को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश हुए | इसी के कारण ईश्वर महाराजा को दिखाई देने लगे और उन्हें बोले , “ तुम्हारा अतिथि सेवा देख कर मैं बहुत खुश हुआ , क्या वर मांगना है मांगो | ”
महाराजा बोले , “ मैं बहुत सुख में ही तो हूं | यह दुनिया में सारे लोग मेरे जैसे सुखी रहे यही मैं चाहता हूं | तुम्हारा कल्याण हो बोलकर ईश्वर महाराज को बोले |
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