Recents in Beach

कृष्ण सुदामा ||बंधुता||Friendship||hindi Stories


कृष्ण सुदामा

बंधुता


भगवान श्रीकृष्ण बाल्यकाल में अपने गोपपुर के दोस्तों के साथ गाय चराने जंगल में जाते थे | उस समय उनके बहुत सारे दोस्त थे | सब को वह याद रखते थे |परंतु श्री कृष्ण जब गोपपुर से मथुरा चले गए उनका दोस्तों के साथ खेलना कूदना बंद हो गया |

उसके बाद मथुरा में श्री कृष्ण जी के पिता वासुदेव उनके अध्ययन के लिए उन्हें गुरु सांदीपनि के आश्रम पर उन्हें छोड़  आए गुरुकुल में अध्ययन के समय एक ब्राह्मण पुत्र सुदामा के साथ उनका  बंधुता हुआ | दोनों अच्छे मित्र हो गए | विद्या ज्ञान पाने के बाद श्री कृष्ण द्वारिका चले गए और वहां के राजा बन गए |
सुदामा अपने घर लौट गए और अपने बच्चों को विद्या देने लगे | सुदामा अपने परिवार को बहुत ही कष्ट से पाल रहे थे और हमेशा उनको अभाव लगा रहता था | धीरे-धीरे उनका अवस्था और खराब होने लगा | उसके बावजूद अपने आप को संभाल के अपने काम में ध्यान दिया करते थे | एक दिन उनके पत्नी उन्हें बोले कि आप की शखा द्वारकापति कृष्ण के पास बहुत धन संपत्ति है | अगर हम उनसे कुछ सहायता मांगे तब हमारे परिवार की दुर्दशा मिट जाए | अपने बाल बंधु से कुछ सहायता मांगने का मन सुदामा का नहीं था परंतु पत्नी के बारंबार अनुरोध के कारण हो कृष्ण के पास जाने का संकल्प किया | परंतु अपने शाखा के पास खाली हाथ जाना उन्हें ठीक नहीं लगा | आखिर में उनके पत्नी दी हुई चावल के साथ और लज्जा के साथ द्वारका के तरफ जाने लगे |

आखिर में सुदामा चलते चलते द्वारका में पहुंचे I राजभवन से दूर सेही वह द्वारपाल से कृष्ण के साथ-साथ याद करने की अनुमति मांगने लगे | द्वारपाल श्री कृष्ण को सुदामा के आगमन का सूचना देते हुए | श्री कृष्णा अपने शखा को रत्न सिंहासन में बैठा कर उनके पैर धो दिए | आपने पहने हुए कपड़ों से ही उनके पैर को पूछ दिए और उनके साथ वार्तालाप करना शुरू किया और पूछो की भाभीजी ने मेरे लिए क्या भेजा है | सुदामा लज्जा के साथ अपने पास से चावल निकाल कर उन्हें दिए | कृष्ण शीघ्र ही उनसे चावल लेकर अपने पत्नी रुक्मणी को दे दिए | परंतु सुदामा मन ही मन सोच रहे हो कैसे कृष्ण जी से धन की सहायता मांगे ?

कृष्ण सुदामा ||बंधुता||Friendship||hindi Stories


शाखा के पास कुछ समय आतीवाहित करने के बाद सुदामा अपने गांव चले जाने का मन किए और सखा से विदाई मांगे | परंतु कृष्ण सुदामा को जाने नहीं दे रहे थे | आखिर में कृष्ण सुदामा के साथ गले मिले और उन्हें एक धन-संपत्ति से पूर्ण रथ में बैठा कर उनके गांव भेज दिए |
श्री कृष्णा इतने बड़े महाराजा होने के बावजूद अपने बचपन के सखा सुदामा को भूल नहीं पाए थे जब वह कृष्ण को देखने आए उन्हें खुशी के मारे अपने गले से भी मिलाया | इतने बड़े राजा होने के बावजूद कृष्ण जी ने सुदामा को अपने बंधु से बढ़कर माना और उन्हें उचित समय पर सहायता भी की |

इस कहानी से क्या सीखते हैं कि बंधुता इस कदर भी हो सकती है |

|| धन्यवाद ||

Post a Comment

0 Comments