तीन बंदर
बहुत पुरानी बात है | गांधीजी तब साबरमती आश्रम में रहते थे | हर दिन सुबह शाम को गांधीजी भगवान श्री राम के भजन और धुन गाने करते थे | उनके साथ रहने वाले लोग भी उस भजन और धुन को मारने करते थे | हर दिन सुबह शाम को बहुत सारे बंदर श्री राम की भजन सुनने के लिए आते थे | गांधीजी उस आश्रम में तीन बंदर के मूर्ति बना के रखे थे |
एक बार कुछ बच्चे गांधीजी के पास श्री राम जी के भजन सुनने के लिए आए थे | वह बच्ची तीन बंदरों की मूर्तियों को देखने के बाद हंसने लगी गांधीजी उन बच्चों को बुलाकर तीन बंदरों का मतलब निकालने लगे |
गांधीजी बोले:
बच्चों का पहला बंदर क्या कर रहा है?
बच्चे बोले, "पहली बंदर अपने आंख में हाथ दिया है | |
गांधीजी बोले, "पहला बंदर बोल रहा है कि बुरी चीजें को मत देखो |"
दूसरे बंदर क्या कर रहे हैं बच्चे?
बच्चे के साथ, "वह अपने कान में हाथ दिया है |"
गांधीजी बोले, "दूसरा बंदर बोल रहा है बुरी बातें को मत सुनो |"
तीसरा बंदर क्या कर रहा है बच्चे?
बच्चे बोले, "वह अपने मुँह में खो गया है |"
गांधीजी बोले, "तीसरा बंदर बोल रहा है बुरी बात मत बोलो |"
अंत में बच्चा मिलते हैं धन्यवाद गांधी जी आपने हमें तीन उपदेश दिए हैं |
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