ओ डरावनी रात
एक समय की बात है जब राम, नरेश, सुरेश और श्याम नाम की चार दोस्त घूमने के लिए पहाड़ों के पास गए थे | सारे के सारे दोस्त अपने घर से एक साथ निकल कर ट्रेन से पहाड़ के पास गए थे | उस समय पहाड़ बहुत ही ज्यादा हरा भरा और सुंदर दिख रहा था | ट्रेन से यात्रा करने के कारण ओ लोग बहुत थक गए थे इसीलिए वह लोग स्टेशन पर ही सो गए | सुबह उठकर वह लोग अपना सारा काम खत्म करके पहाड़ के ऊपर चढ़ने की सोची | महीना बारिश का चल रहा था और इसी कारण पहाड़ पूरे हरे भरे थे जंगलों से और वहां पर बहुत ही ज्यादा घने जंगल | सारे दोस्त मिलकर सोचेगी पुलक सुबह पहाड़ पर चलेंगी और जंगलों में घूमेंगे और रात को पहाड़ के नीचे जो हवेली है वहां पर आराम करेंगे | क्या सोच कर बोलो पहाड़ पर चढ़ाई करना शुरू किए | जगह नया होने के कारण वह लोग अपने साथ एक गाइड को भी ले गए जो कि उन्हें पहाड़ों में रास्ता बताने का काम कर रहा था क्योंकि उन्हें लगता था कि वह कहीं उस घने जंगलों में घूमना हो जाए | वह लोग जंगलों में बड़े मजे से घूम रहे थे सुंदर सुंदर पंछियों की फोटो ले रहे थे जंगल में अनेक प्रकार के फल भी हुए थे जो कि वो तोड़ कर खा ले रहे थे | पहाड़ के उस तरफ एक झरना बहता था जो कि बहुत ही ज्यादा सुंदर था | उन चारों दोस्तों में से सबसे ज्यादा बदमाश राम था जो कि सारे दोस्तों को बोला कि भाई लोग चलो हम वहां उस झरने के पास चलते हैं | परंतु ब्राइटनेस हारे लोगों को मना किया क्योंकि वहां पर पानी होने कारण फिसलन बहुत ज्यादा है और पहाड़ भी बहुत ऊंचा है इसीलिए कोई तरह का दुर्घटना ना घट जाए इसलिए गाइड ने मना किया | किंतु राम ने गाइड का बात ना मान के उस जगह को छुपे छुपे जा रहा था और जाते जाते रस्ते में उसका पेड़ पर एक बड़ा सा पेड़ की डाली गिर गया और उसका पैर मैं बहुत घाव हो गया | राम के सारे दोस्त उस जगह के पास गए और राम को उठा कर ले आए | धीरे-धीरे अंधेरा हो जा रहा था इसी कारण से और लोग हवेली पर जाकर आराम करने की सोची | हवेली के पास जाने से हवेली बहुत ही ज्यादा पुराना दिख रहा था और वहां पर कोई भी पहरेदार नहीं था | सारे दोस्तों ने सोचा की हवेली शायद बहुत पुराना हो चुका है इसी कारण कोई भी पहरेदार वहां नहीं है और हम इस हवेली पर आराम से अपनी रात गुजार सकते हैं | यह सोचकर वह लोग हवेली के अंदर चले गए |
हवेली के अंदर जाने के बाद वे लोग हैरान हो गए क्योंकि हवेली अंदर से काफी ज्यादा सुंदर और साफ सुथरा था | किंतु यह सब देखकर नरेश के दिमाग में यह सवाल आया यह हवेली अंदर से इतना कैसे साफ सुथरा है ? हवेली बहुत बड़ा था और हवेली में बहुत सारे दरवाजे और कमरे थे | यह देखकर वह बहुत खुश हुए और मिलकर खाना बनाना शुरु कर दिया | खाना खा लेने के बाद सारे दोस्त आराम करने के लिए अपने अपने मनपसंद कमरे में चले गए | कुछ समय के बाद हवेली में लाइट बंद हो गया और चारों तरफ अंधेरा छा गया | पहाड़ गांव के आसपास होने के कारण सारे दोस्त सोचे कि शायद कोई कारण से गांव में लाइन गया होगा | उसके बाद हवेली के बीच में एक बहुत ही बड़ा जगा था जहां पर सारे दोस्त इकट्ठे हुए और वह लोग आग लगाकर आपके चारों तरफ बैठकर गप्पे लगाए | कुछ समय के बाद राम को प्यास लगने लगा और वह अपने कमरे में पानी पीने के लिए गया | किंतु राम बहुत देर तक और लौटकर आया नहीं क्या देखकर उसका दोस्त सुरेश वहां से उठकर राम के कमरे की तरफ गया | जब वह कमरे का दरवाजा खोला तब उसके पैरों में कुछ पानी जैसा चीज लगा | जब उसने टॉर्च से उस चीज को देखा तब से पता चला कि वह पानी नहीं है वह खून है और जब वह ऊपर देखा तब उसे दिखा की उसका दोस्त राम की लाश को किसी ने ऊपर दंगा रखा है वह भी उल्टा | यह देखकर संदेश बहुत ज्यादा डर गया और दौड़ता हुआ अपने दोस्त के पास चला गया | जब यह बात सुरेश नरेश और श्याम को बताया वह दोनों सुरेश की बात पर यकीन नहीं किए | जब वह दोनों की राम की लाश को देखें तब उन्हें क्या बात पर यकीन हुआ और तीनो के तीनो एक कमरे में चले गए और अपने आप को उस कमरे के अंदर पूरी तरह से बंद कर दिया |
कुछ समय के बाद उस कमरे के बाहर कोई चलने की आवाज आने लगी | क्यों देखकर नरेश दरवाजा खोलकर उसे देखने के लिए उस आवाज के पीछे पीछे जाने लगा | कुछ समय के बाद सुरेश और श्याम को नरेश की चीखने की आवाज सुनाई दी | यह आवाज सुनकर दोनों बहुत ही ज्यादा डर गए और उस कमरे के एक कोने मैं जाकर छुप गए | फिर से कुछ समय के बाद नरेश की चीखने की आवाज दोबारा सुनाई दी | इस बार आवाज सुनकर श्याम नरेश के पास जाने की सोचा और धीरे-धीरे वह भी नरेश के आवाज के दिशा में जाने लगा | किंतु सुरेश इतना ज्यादा डर गया था कि वह उस जगह से बिल्कुल भी ही नहीं रहा था | जब श्याम नरेश को बचाने के लिए जा रहा था तब उसने देखा की नरेश का कटा हुआ सर आसमान में झूल रहा था | इसे देखकर श्याम सुरेश के पास लौटने लगा और इसी समय कहीं से एक बड़ा सा तलवार आकर श्याम की गली में घुस गया और श्याम वहीं पर तड़पते हुए मर गया | अब तक तीनो के तीनो दोस्त मारे जा चुके थे और सिर्फ सुरेश ही बचा था | सुरेश सुबह तक उसी कमरे में था और सुबह होते ही उस कमरे से निकलकर वह उस हवेली से बाहर निकल गया | इसके लिए उसे एक बाबा दिखाई दिए और जब सुरेश कुछ बाबा से इस घटना के बारे में बताया बाबा ने बोला कि उस हवेली में बहुत पहले एक लड़की की बहुत ही भयंकर तरीके से मौत हो गई थी | जिस दिन के बाद से ही उस हवेली पर इस तरह की घटनाएं घटने लग रही है | जब सुरेश ने उन्हें पूछा कि वह कैसे इस हवेली से जिंदा लौट आया तब बाबा ने उसे बोला कि तुम्हारे पास एक कवच है जिससे कि तुम ने अपने गले पर पहना है इसी कारण तुम उस हवेली से जिंदा लौट आए हो | इस घटना के बाद उस हवेली पर और कोई नहीं गया और इस हवेली को बाहर से ही बंद कर दिया गया |
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