मां और बेटे की कहानी
एक समय की बात है जब राजाओं का शासन चलता था | सारंगढ़ नाम का एक बहुत बड़ा राज्य था जहां पर एक बहुत ही बड़ा क्रूर राजा रहा करता था | और आज आप बहुत ही ज्यादा गुरूर था और वह हमेशा अपनी सुख और शांति के लिए अपनी प्रजा रोका इस्तेमाल किया करता था और उन्हें तकलीफ दिया करता था | उस राजा के शासन के अगर कोई भी गलती से भी वहां पर गलत काम कर देता है या कोई अपराध कर देता है तब उसे वहां पर मृत्युदंड दे दिया जाता है | कुछ समय शासन करने के बाद राजा को विवाह करने का मन हुआ | उसी समय उस राज्य के पड़ोसी राजा का एक बहुत ही सुंदर बेटी थी | राज्य और उस राज्य कन्या को पाने के लिए सारंगढ़ के राजा ने अपने पड़ोसी राज्य पर हमला कर दिया और युद्ध में उन्हें परास्त कर दिया | परास्त करने के बाद बलपूर्वक उस पड़ोसी राज्य की बेटी को अपने राज्य में ले आया और उससे बलपूर्वक विवाह भी कर लिया | वह राज्य कन्या का नाम था हर्षी | हंसी बहुत ही ज्यादा शांत स्वभाव की लड़की थी इसी कारण हो राजा को कभी कुछ नहीं | कुछ समय के बाद जान हंसी गर्भवती हुई और उससे एक पुत्र संतान भी हुआ |
राजा बहुत ही ज्यादा लोभी था | उसने अपने राज्य के सीमा को बढ़ाने की सोची | कुछ समय के बाद राज्य मंत्री ने राजा को एक बड़े से राज्य के राजा के बारे में बताया जो अपनी बेटी की शादी करवाना चाहते हैं और उनके पास बहुत ही ज्यादा बड़ा राज्य है जो कि वह अपने जमाई को दे देना चाहते हैं | संपत्ति के लालच में राजा दूसरी शादी के लिए मान लिया और दूसरी शादी भी कर लिया | दूसरी महारानी का नाम श्रीरंगी था | परंतु दूसरी महारानी पहली वाली महाराज उसे पूरी तरह करना चाहिए दूसरी महारानी बहुत ही गुस्सैल किसम की और बहुत ही क्रूर थी | उनका स्वभाव पूरी तरह से महाराजा के साथ मिलता जुलता था | छोटी महारानी अपने साथ बहुत सारे संपत्ति हाल व्यवहार के कारण महाराजा के आदरणीय हो गए थे | महाराजा लिए केवल उनकी ही बात को माना करते थे और बड़ी मार आने के बाद को टाल दिया करते थे | धीरे धीरे महाराजा बड़ी महारानी और उनके पुत्र को भी अपने से दूर करने लगे और हमेशा छोटी महारानी के पास रहने लगे | किंतु प्रजा को बड़ी महारानी का स्वभाव बहुत ही ज्यादा पसंद था और वह छोटी महारानी और महाराजा से बहुत ही ज्यादा दुखी थी | धीरे-धीरे समय के साथ-साथ छोटी महारानी और भी क्रूर और गुस्सैल होने लगी | वो दिन भी बहुत जल्दी आ गया जब छोटी महारानी बड़ी महारानी के ऊपर अत्याचार अन्याय करने लगी | जब महाराजा के सामने बड़ी महारानी यह सब बताते तब महाराजा उन्हें डांट कर भगा दिया करते थे | धीरे-धीरे छोटी बहु रानी बड़ी महारानी के पुत्र के ऊपर भी अन्याय अत्याचार करने लगे हमेशा उसे मारने लगी काम कराने लगी | हर दिन मां बेटे दोनों रोने लगी | धीरे-धीरे समय के साथ-साथ बड़ी महारानी के ऊपर किया जा रहा अत्याचार भी बढ़ने लगा |
एक दिन बड़ी महारानी यह सबसे खतरनाक कार खुदकुशी कर ली | यहां देखा छोटी महारानी बहुत ही ज्यादा खुश हुई और सोचने लगी कि उन्हें पूरा साम्राज्य मिल गया | यह खबर सुनकर राजा बहुत दुखी हुई और रोने लगी | बड़ी महारानी का बेटा थोड़ा बड़ा हो गया था और उसे यह सब समझ आ गया था | माता का इस तरह से वियोग उससे साहनी गया और एक दिन वह भी महाल से कूदकर आत्महत्या कर लिया | यह देख कर महाराजा और छोटी महारानी बहुत खुश हुई और खुशी-खुशी अपना घर संसार चलाने लगी |
कुछ साल के बाद छोटी महारानी का भी एक पुत्र संतान हुआ | इससे महाराजा और महारानी दोनों बहुत खुश हुए | परंतु पुत्र के जन्म के दो दिन के अंदर ही पुत्र एक भयंकर तरीके से मारा गया | यह देखकर महाराजा महारानी बहुत दुखी हुए परंतु राजा बहुत खुश हुई | एक दिन छोटी महारानी अपने कक्ष में रात को सो रही थी | अचानक एक काला साया उनकी आंखों के सामने आ गया | यहां देखकर वहां बहुत डर गए और दौड़ते हुए महाराजा की तरफ जा रही थी | उसी समय सामने से एक बहाना आकर उनके पेट के आर पार चला गया और तुरंत ही उनका मौत हो गया | यह देखकर महाराजा पूरी तरह से हैरान हो गया | यह दुख उनसे बर्दाश्त नहीं हो पाया और वह अपने आप को कुछ दिनों तक अपने कमरे में बंद होकर रहने लगे | कुछ दिन के बाद उनके कमरे से एक जीतने की आवाज आई | सारे सैनिक महाराजा के कमरे के तरफ दौड़ते हुए गए क्या हो गया वह देखने | कुछ समय के बाद सैनिक दरवाजा तोड़ दिए और कमरे के अंदर जाने से देखते हैं कि महाराज अपना गला अपने हाथों से काट दिए हैं और खून से लथपथ हुए जमीन पर पड़े हैं जब सैनिकों ने उठाने के लिए गए तब महाराजा हवा में उड़ गए और खिड़की से अपने आप ही बाहर कूद गए | अपने के कारण उनका सर नीचे रहा पत्थर पर लगा और उनका मौत हो गया | यह सब देखकर राजाओं ने एक बाबा को राज्य में बुलाया | बाबा को सारा बात बताने के बाद बाबा ने अपने सिद्धि से पता किया की महाराजा की पुरानी पत्नी की आत्मा वहीं पर रह रही थी और उसके आत्मा की शांति के लिए वह यह सब की है | फिर धीरे-धीरे सब कुछ सही हो गया और प्रजा ने मिलकर एक अपना खुद का राजा बनाया | फिर धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो गया |
|| धन्यवाद ||
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