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पक्षी राज जटायु || Birds King Jatayu || Hindi Stories Dunia


पक्षी राज जटायु


त्रेता युग की बात है |  उस समय लंका पर त्रिपुर विजय रावण राज कर रहा था |  कठोर तपस्या के द्वारा वह भगवान शिव से बर प्राप्त किया था | वह उसी बर के कारण तीनो लोक को अपने अधीन में रखा था | उस समय भगवान श्रीराम अपने पिता के वचन को रक्षा करने के लिए चौदह साल का बनवास ग्रहण कर लिए | कुछ साल जंगल में भ्रमण करने के बाद वह पंचवटी वन में वास करने लगे | 


एक दिन की बात है रावण की बहन सुपनखा भगवान श्रीराम को देखकर मोहित हो गई और उन्हें प्राप्त करने के आसान में उनसे बात करने लगी | परंतु रामचंद्र उसे ग्रहण करने के लिए मना कर दिए | क्रोध में लक्ष्मण सुपनखा का कान नाक काट देता है | रावण अपनी बहन की इस तरह की हालत देखकर क्रोधित हो गया और पंचवटी जाने के लिए प्रस्तुत हुआ | कुछ समय के बाद अपने पुष्पक विमान पर बैठकर रावण पंचवटी के लिए रवाना हो गया | कुछ समय के पश्चात रावन माता सीता का हरण कर कर अपने पुष्पक विमान पर उन्हें बैठाकर आकाश के मार्ग से लंका के और निकल गया | अपने बचाव के लिए माता सीता आसमान से ही चिल्ला रही थी | उनका चिल्लाना एक बड़े से पक्षी राजन को सुनाई दिया जिनका नाम था जटायू | 


पक्षी राज जटायु || Bird Raj Jatayu || Hindi Stories Dunia


जटायु यह सुनकर माता सीता को बचाने के प्रयास में आकाश को उड़ने लगा | आसमान पर पहुंचने के बाद वह देखा कि महा प्रताप की रावण श्री रामचंद्र जी की पत्नी माता सीता को अपहरण करके ले जा रहा है | एक नारी का क्रंदन पक्षी राजन को क्रोधित होने पर मजबूर कर दिया | पक्षी राजन अपने जीवन को संकट में डाल कर रावण से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया | अपनी पंख से युद्ध में वह रावण को बहुत ही क्षत-विक्षत कर दिया | परंतु आखिर में रावण अपने चंद्रहास खड़ग से जटायु के पंख काट दिए | जटायु कुछ समय के पश्चात जमीन पर गिर गया | कुछ समय के पश्चात भगवान श्री राम और लक्ष्मण माता सीता को ढूंढते हुए जटायु के पास आ पहुंची | जटायु से संपूर्ण ना खबर सुनने के बाद वह चकित हो गए | 



एक सामान्य सा पंछी जटायु ने मात्र जाति के सम्मान के लिए अपने प्राण को उस महा प्रतापी लंकेश्वर रावण के निकट समर्पण कर दिया यह देखकर भगवान श्री राम बहुत ही प्रसन्न हुए और जटायु के आखिरी समय पर वह जटायु को अपने गोदी में जगा दिए | भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से उनके गांव पर दवाई लगा दी | आखिर में जटायु भगवान श्री राम के गोदी में ही प्राण त्याग दिया | 



एक नारी के सम्मान और सुरक्षा के लिए एक पक्षी राजन अपना प्राण त्याग देने के लिए आगे आ गया या देखकर भगवान श्रीराम ने उप महा प्रतापी और महा पापी रावण का दहन करने की संकल्प लिए | जटायु मर गया परंतु सबके लिए एक उदाहरण बन गया |

इस कहानी से हम जान सकते हैं कि हमेशा नारी जाति किस सम्मान और सुरक्षा करनी चाहिए | 


|| धन्यवाद ||

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