सत्य का माली
एक जमाने की बात है एक धनी व्यक्ति था | उनका एक ही मात्र लड़का था |  उसका नाम था गगन | वह हमेशा झूठ बोला करता था |  इसी कारण उसके पिताजी बहुत ही दुखी रहा करते थे |  कैसे वह झूठ बोलना छोड़ें यह बात उसके पिताजी हमेशा सोचा करते थे | 
एक दिन की बात है एक बड़े ज्ञानी बाबा उस धनी आदमी के घर पर आए थे | गगन की पिताजी गगन को उस बाबा के सामने खड़े किए और बाबा जी को बोले कि बाबा मेरा बेटा हमेशा झूठ बोला करता है | अगर आप उसके खराब गून को सुधार दे तब मैं बहुत खुश होंगे | 
बाबा गगन को अपने पास बुला कर उसके गले पर एक सुंदर सा माली पहना दिया और उसे बोले अगर तुम झूठ बोलोगे तब यह माली अदृश्य हो जाएगा | सत्य बोलने से उसमें कोई भी फर्क नहीं आएगा | 
उसके कुछ दिन के बाद गगन खेलने के लिए घर से बाहर गया | बाहर में उसके इतना सुंदर माली दोस्त से पूछे कि इतना सुंदर मालिक तू कहां से लाया ? गमन उन्हें उत्तर दिया कि यह माली मेरे पापा लाए है | झूठ बोलने के कारण माली वहीं पर अदृश्य हो गया | गगन फिर से अपने दोस्तों को बोला नहीं नहीं यह माली मेरे पापा नहीं लाए हैं, यह माली मुझे एक बाबा जी ने दिया है | इसके बाद माली फिर से गगन के गले पर आ गया | 
फिर कहीं झूठ बोलने से माली अदृश्य हो जाएगा यह सोच में गगन झूठ बोलना छोड़ दिया | 
कुछ दिन के बाद वह बाबाजी फिर से गगन के घर पर आए | गगन की पिताजी से वह सुने की गगन आज कल और झूठ नहीं बोलता | बाबाजी गगन से मिले और उसे बोले अरे गगन तू सत्य बोल रहा है इस कारण मैं अपना माली तुझे पुरस्कार स्वरूप दे रहा हूं | 
 


 
 
 
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