भूखे को अन्नदान
एक दिन की बात है | उत्कलमणि गोपाबंधु दास अपने दोस्तों के साथ एक भोजन समारोह आयोजित किए थे | वह लोग बाजार जाकर सारे जरूरतमंद सामग्री ले आए | थे | उसके बाद सब लोग रसोई करना शुरू कर दिए | रसोई खत्म हुआ दोस्तों के साथ गोपाबंधु जी खाने बैठे थे | सब को उचित हिसाब से खाना दिया गया था |
उसी समय बाहर से एक भिखारी का बुलावा सुनाई दिया | भिखारी बोलता है जी मैं दो दिन से कुछ नहीं खाया हूं | मुझे कृपया कुछ खाने के लिए दीजिए | गोपाबंधु जी के साथ बैठे हुए उनके दोस्त लोग उस भिखारी के बाद को नजर अंदाज कर दिए | ओके दोस्त सारे अपने-अपने खाना खाने शुरु कर दिए | संतु गोपाबंधु जी और खा नहीं पाए | वह तुरंत अपने स्थान से उठे और अपने खाद्य को उस भूखे भिखारी को दे दिए | भिखारी यह देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और भोजन ग्रहण करना आरंभ किया | गोपाबंधु जी भीकारी के पास बैठे और एक कपड़े से उन्हें हवा करना शुरू किए और उनके इस हालत को देखकर अपने आंखों से आंसू भी गिरा रहे थे | गोपाबंधु जिन्हें कुछ क्षण के लिए उसको अपने हाथों से भी खाना खिलाए | उसके बाद गोपाबंधु जी अपने कक्ष में चले गए और वहां से कुछ पैसे लाकर उस भिखारी को दान स्वरूप दे दिए और बोले आगे इन पैसों को खर्च करना अपनी भूख के निवारण के लिए |
यह दृश्य देखकर गोपाबंधु जी के सारे दोस्त अपना गलती समझ पाए और आकर उस भिखारी से और गोपाबंधु जी से क्षमा प्रार्थना किए |
0 Comments